भूतपूर्व हुए महापौर और 85 पार्षद

नगर सरकार का कार्यकाल समाप्त... प्रशासक की नियुक्ति... 


चैतन्य लोक : दिव्यांश शर्मा



देश की सरकार को केन्द्र सरकार कहा जाता है और राज्य की बागडोर संभालने वाली सरकार को प्रदेश सरकार। नगर निगम में पदस्थ परिषद् को अघोषित रूप से नगर सरकार का ही दर्जा दिया गया है। बुधवार को इंदौर नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो गया। इसके बाद संभाग के कमिश्नर को महापौर मालिनी गौड़ की जगह निगम प्रशासक नियुक्त होंगे। महापौर को एक महीने में सरकारी बंगले खाली करना होगा तथा वाहन तुरंत वापस करना होगा। उल्लेखनीय है कि श्रीमती मालिनी गौड़ ने 19 फरवरी 2015 को ही इंदौर के महापौर पद की शपथ ली थी।



इंदौर। फिलहाल श्रीमती मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़ ऐसी आखिरी महापौर हो गई हैं, जो सीधे चुनाव के जरिए जीत कर आई थी। कांग्रेस सरकार ने नगर निगमों और नगरीय निकायों में अब महापौर और अध्यक्ष के चुनाव के नियम बदल दिए हैं। अब जो भी चुनाव होंगे, उनमें पार्षद ही महापौर का चयन करेंगे। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। ऐसा पहली बार हुआ है कि परिषद का कार्यकाल समाप्त होने पर नगर निगम ने कोई औपचारिक विदाई समारोह आयोजित नहीं किया। सूत्रों ने बताया कि निगम प्रशासन ने एक होटल में भोज की योजना बनाई थी, लेकिन विवाद के बाद उच्चस्तर से इसके लिए मनाही हो गई। मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग निर्वाचन तारीख से करीब 45 दिन पहले चुनाव की अधिसूचना जारी करेगी। इसके पहले आयोग कलेक्टरों से चुनाव तैयारियों के संबंध में फीडबैक लेगा। इस दौरान चुनाव आयोग को अगर लगता है कि कुछ जिलों में चुनाव की तैयारी पूरी तरह से नहीं हो पाई हैं, उन्हें आयोग समय भी देगा। इस प्रक्रिया में भी निर्वाचन निर्वाचन कार्यों में देरी लग सकती है।  महापौर के साथ सभी 85 इंदौरी पार्षदों के भूतपूर्व होने के बाद अब शहर की राजनीति गरमाने वाली है। छोटे-बड़े मुद्दों को लेकर बड़े-बड़े प्रदर्शन और घेराव होंगे, जिनमें टिकट के मारे नेता शक्ति प्रदर्शन करेंगे। इस बार महापौर के चुनाव सीधे जनता द्वारा न होने के कारण विधायक और बड़े पदों पर रहे नेताओं को भी गली-मोहल्ले का चुनाव यानी पार्षद का चुनाव लडऩा होगा। इस बार मेयर का पद पिछड़ा पुरुष होने का अनुमान है। इंदौर में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होगा, लेकिन दोनों ही पार्टियों के बागी खेल बिगाड़ेंगे। दिल्ली में हैट्रिक लगाने वाली आप पार्टी भी मैदान में कूद रही है। आप की नजर कांग्रेस-भाजपा के बागियों पर होगी। 
आयुक्त बने प्रशासक : जबलपुर, छिंदवाड़ा, बड़ोनीखुर्द, बनखेड़ी, पलेरा, शमशाबाद नगरीय निकायों में प्रशासक की नियुक्ति की गई है, जबकि इंदौर, भोपाल व जबलपुर नगर निगम में संभागायुक्त प्रशासक बने व छिंदवाड़ा में कलेक्टर को जिम्मा सौंपा गया है।